एक रुका हुआ पल
जो शुरू हुआ पर खत्म नही
जो रुक न सका, कभी ढल न सका
न कोई फ़साना नाम है मेरे
वो पल हूँ मैं जो गुजर न सका
ये वक्त जो ठहरा है मुझ में
वो कभी किसीसे बदल न सका
इस वक्त में जो भी खो जाएँ
उससे कभी मैं भी छुप न सका
ये रुका हुआ वक्त घर है मेरा
पर मैं इसका कभी हो न सका
देखके इस वक्त को जो रुके
मुझे देखे बिना वो चल न सका
जो रुक न सका, कभी ढल न सका
न कोई फ़साना नाम है मेरे
वो पल हूँ मैं जो गुजर न सका
ये वक्त जो ठहरा है मुझ में
वो कभी किसीसे बदल न सका
इस वक्त में जो भी खो जाएँ
उससे कभी मैं भी छुप न सका
ये रुका हुआ वक्त घर है मेरा
पर मैं इसका कभी हो न सका
देखके इस वक्त को जो रुके
मुझे देखे बिना वो चल न सका
Labels: poem
0 Comments:
Post a Comment
<< Home