Tuesday, January 15, 2008

एक रुका हुआ पल

जो शुरू हुआ पर खत्म नही
जो रुक न सका, कभी ढल न सका
न कोई फ़साना नाम है मेरे
वो पल हूँ मैं जो गुजर न सका

ये वक्त जो ठहरा है मुझ में
वो कभी किसीसे बदल न सका
इस वक्त में जो भी खो जाएँ
उससे कभी मैं भी छुप न सका

ये रुका हुआ वक्त घर है मेरा
पर मैं इसका कभी हो न सका
देखके इस वक्त को जो रुके
मुझे देखे बिना वो चल न सका

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